Depression and Stress in Hindi
Depression and Stress in Hindi
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डिप्रेशन और स्ट्रेस
दोस्तों मेरा दावा है अगर आप इन सभी बातो को समझ लेते है तो जो भी आपका डिप्रेशन या स्ट्रेस है वो तोह बहुत हद तक कम या ख़तम हो जायेगा, परन्तु आने वाले भविस्य में आपको कभी भी डिप्रेशन का सामना नहीं करना पड़ेगा, इसलिए मेरी आपसे यही प्राथना है की आप एक बार इन सभी बातों को अचे से समझे या कोसिस करे।कुछ बातें डिप्रेशन और स्ट्रेस के बारे में
डिप्रेशन क्या है क्यों होती है डिप्रेशन और स्ट्रेस जब तक हम इनके बारे में नहीं समझ लेते तब तक हम यह नहीं समझ पते की डिप्रेशन को कैसे ख़तम किया जाये या बहुत हद तक कम किया जा सके, क्यूंकि कसी भी बीमारी का इलाज तब तक ठीक नहीं क्या जा सकता जब तक की हम उसके जड़ को समझ नहीं लेते।
डिप्रेशन और स्ट्रेस से क्या प्रभाव पड़ता है ?
दोस्तों, डिप्रेशन और स्ट्रेस को अगर सिंपल शब्दों में जीने की इच्छा को ख़तम करना या किसी भी तरह की इच्छा का न होना कहा जाये तो गलत नहीं होगा, बल्कि लोग जीने के साथ साथ लोगो से अटॅचमेंट रखने में भी हिचकिचाते है, और अपने आप को अकेले रखने की कोसिस करते है।
हम आज इस ऐसे बीमारी की बात करते है जो आज के ज़माने में बहुत ही साधारण हो चुकी है पर सबसे खतनाक बीमारी में से एक है, आज के ज़माने में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसे हम डिप्रेशन और स्ट्रेस में नहीं देखते है, यह भले कह सकते है की डिप्रेशन और स्ट्रेस की की स्टेज छोटी से लेकर बड़ी हो सकती है, पर यहाँ हम उन सभी स्टेजेस की बात बाद में करेंगे।
डिप्रेशन और स्ट्रेस क्या है ?
डिप्रेशन और स्ट्रेस को डॉक्टर्स ने एक बीमारी "Psychology" or "Mental" बताया है, जिसमे लोग अपनी किसी एक या अनेक फीलिंग्स और बातों को इतना सोचने लगते है, जो यह तो पूरी नहीं हो पाती या अधूरी सी रह जाती है और उन सभी बातों को अपने चारो तरफ इस कदर फैला देते है की वो एक जाल के तरह बन जाती है जिसमे लोग अपने आपको बांध लेते है और सायद ही सही तरीके से निकल पाते है।
डिप्रेशन में कैसा लगता है ?
अब यह फीलिंग्स अच्छी तोह नहीं हो सकती यह बिलकुल बुरी फीलिंग्स होती है जो उनके कुछ जीवन के महत्वपूर्ण फैसले या काम होते है जो वे अपने जीवन में करना चाहते थे या कर नहीं पा रहे है, जिसके वजह से
वे उन बातों को अत्यधिक सोचने में लगा देते है और वो बातें उनको अपने उन सभी आदतों से दूर ले जाती है जिनके वजह से वो अपने जीवन में आगे की तरफ बढ़ते है, और आप सभी भली भाती जानते है की अगर कोई मकशद किसी का पूरा न हो और किसी का कोई मकशद ही न रहे तोह वो इंसान इस दुनिया में रह कर भी रह नहीं पाता।
ऐसे लोग अकेले में रहना पसंद करते है क्यूंकि उनको लगता है की उनकी प्रोब्लेम्स को उनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता और हां यह भी सही है की जो समय और परिस्थिति उन्होंने देखि और समझी है उन समस्याओ को कोई और नहीं समझा है।
और अगर यह प्रोब्लेम्स किसी के साथ बाटने की कोसिस करते है तोह लोगो से सिर्फ सहानुभूति और ट्रॉपिकल सलाह ही देते है जिनसे डिप्रेशन कभी कभी कम होने के सिवाय और बढ़ जाती है, जहा कुछ लोग कुछ बातें सुनते है तोह कही कुछ ऐसे लोग होते है जो कुछ सुनते ही नहीं उल्टा कुछ ऐसा कह जाते है जिनसे डिप्रेशन सुर बढ़ जाता है।
डिप्रेशन में लोग दर असल कैसे हो जाते है : अपनी दुनिया अपने में ही बनाना शुरू कर देते है जहा वो सिर्फ अपने को और अपनी उन सभी प्रोब्लेम्स को साथ रखते है, हमेसा खुदमे खोये हुए रहना अपने पर और दुसरो पर गुस्सा करना हर जगह पर अपनी समस्याओं के बारे में कहना और नहीं तोह सभी से उन समस्याओं को छुपाना और खुद ही अंदर ही अंदर अपने को तड़पाना जिसका हद आत्मा-हत्या तक भी हो सकता है। इसके अलावा डिप्रेशन और स्ट्रेस बहार निकलने के जगह में अपने आपको नसे की ओर ले कर जाते है।
(अगर मैं यह कहु की डिप्रेशन के बढ़ने का एक मात्र कारन है अकेला पन और ज्यादा से ज्यादा सोचना उन समस्याओं के बारे में। क्यूंकि मेरे अनुभव से "डिप्रेशन" और "स्ट्रेस" को ख़तम नहीं किया जा सकता है अजबकी उसे बहुत हद तक काम किया जा सकता है, जो की एक समय के बाद ख़त्म सी हो जाती है। )
डिप्रेशन को कभी भी "दवा" के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए क्यूंकि यह आदत "एक प्रकार से नसे की लत लगा देती है, जो की डिप्रेशन से भी खतरनाक साबित हो सकती है।
यदि किसी को डिप्रेशन या स्ट्रेस हो तो आपको यह काम कम से कम करनी चाइये जिससे डिप्रेशन को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। और यह बातें १००% काम करने की ताकत रखती है।
और अगर यह प्रोब्लेम्स किसी के साथ बाटने की कोसिस करते है तोह लोगो से सिर्फ सहानुभूति और ट्रॉपिकल सलाह ही देते है जिनसे डिप्रेशन कभी कभी कम होने के सिवाय और बढ़ जाती है, जहा कुछ लोग कुछ बातें सुनते है तोह कही कुछ ऐसे लोग होते है जो कुछ सुनते ही नहीं उल्टा कुछ ऐसा कह जाते है जिनसे डिप्रेशन सुर बढ़ जाता है।
डिप्रेशन में लोग दर असल कैसे हो जाते है : अपनी दुनिया अपने में ही बनाना शुरू कर देते है जहा वो सिर्फ अपने को और अपनी उन सभी प्रोब्लेम्स को साथ रखते है, हमेसा खुदमे खोये हुए रहना अपने पर और दुसरो पर गुस्सा करना हर जगह पर अपनी समस्याओं के बारे में कहना और नहीं तोह सभी से उन समस्याओं को छुपाना और खुद ही अंदर ही अंदर अपने को तड़पाना जिसका हद आत्मा-हत्या तक भी हो सकता है। इसके अलावा डिप्रेशन और स्ट्रेस बहार निकलने के जगह में अपने आपको नसे की ओर ले कर जाते है।
डिप्रेशन होने के कारण :-
वैसे तोह डिप्रेशन और स्ट्रेस होने के कई कारण हो सकते है, कुछ डिप्रेशन हमारे जीवन के लिए अचे होते है और जहा तक जीवन को डिस्ट्रॉय नहीं करते बल्कि उनसे सबक ले कर अपने जीवन में आगे बढ़ते रहते है, पर यहाँ पर हम उन सभी डिप्रेशन और स्ट्रेस के बारे में बात करेंगे जो न की बहुत खतरनाक होते है बल्कि लोगो को मौत तक ले के चले जाते है।- कम्पटीशन और स्ट्रगल : आज कल बच्चो में या बड़ो में यह पाया जाता है की वे दुसरो से बेहतर बने और उस बेहतर बनने के लिए जीवन में सब भुला कर बस उस "कम्पटीशन" में लग जाये तोह डिप्रेशन और स्ट्रेस हो ही जाता है।
- प्यार : प्यार करते समय किसी को यह पता नहीं होता की वो प्यार जिंदगी भर का होगा या फिर कुछ ही समय का यदि प्यार सच्चा है और वो प्यार न मिले तोह उसका दर्द दिलो दिमाग में बैठ सा जाता है, तोह डिप्रेशन और स्ट्रेस हो ही जाता है।
- धोखा : प्यार अगर सच्चा किया जाये तोह सायद जिंदगी भर एक प्यारी सी एहसास दिलो दिमाग में रह जाती है पर प्यार में अगर धोखा मिले तोह पूरी जिंदगी ही तबाह हो जाती है, और यह दिलो और दिमाग को बहुत तकलीफ पहुँचती है, तोह डिप्रेशन और स्ट्रेस हो ही जाता है।
- बिज़नेस और सर्विस : लोगो को जिंदगी सुरु करने के पहले ही "स्ट्रगल" वाले जीवन में आ जाना पड़ता है जहा चारो तरफ आपके जैसे प्रोफेशनल काम करने के लिए है या सायद आपसे बेहतर इन सभी से आपको कम्पटीशन करना है, तोह डिप्रेशन और स्ट्रेस हो ही जाता है।
- परिवार की जिम्मेदारी : परिवार की जिम्मेदारी अगर ठीक से न हो या परिवार में किसी भी चीज़ की कमी हो जाये तोह लोग चिंतित हो जाते है पर वही परिवार की कोई बड़ी जिम्मेदारी हो जो पूरी न हो प् रही हो तो, डिप्रेशन और स्ट्रेस हो ही जाता है।
- लोगो का ताना : यदि किसी बात पर जो आपसे पूरा न हो रहा हो या आप न कर प् रहे हो और उसी बात को लोग आपको रोज याद दिलाते हो और आपको भला बुरा कह कर रेस्पेक्ट नहीं दे रहे तोह डिप्रेशन और स्ट्रेस हो ही जाता है।
- इच्छा का अधूरा रह जाना : जीवन में कई इच्छाएं होती है पर वो सभी इच्छा जिससे आपकी जिंदगी जुडी होती है वो अगर पूरा न हो या अधूरा सा रह जाये तोह डिप्रेशन और स्ट्रेस हो ही जाता है।
ऐसी कई और बातें है जो न चाहते हुए भी हमें रोज सोचने पर बिवास कर जाती है और कब यह सोच "डिप्रेशन" या "स्ट्रेस" में बदल जाती है।
डिप्रेशन और स्ट्रेस से खुद को कैसे बचाये ?
डिप्रेशन और स्ट्रेस से आप खुद ही खुद को बचा सकते है अन्यथा कोई भी आपको इनसे बहार नहीं निकल सकता जब तक आप के अंदर खुद की इच्छा शक्ति न हो इनसे निकलने की, आपको आपका सारा ध्यान उन सभी आदतों में लगाना सुरु कर देना चाहिए जिनसे आपको खुसी मिलती हो और जो आपको आपके जीवन में नए पहलु को ले कर आये पता है यह आसान नहीं है पर कहते है
इस जीवन में वही होता है जो होना होता है हमारे हाथ में वो सब नहीं जो चला गया पर आने वाले समय को जाने दे या उसे सवारे वो अपने हाथ में है)
(हम तो कल भी शुन्य से शुरू हुए थे और आज भी शुन्य है क्या हुआ अगर कल भी शुन्य हो जाये)
इस दुनिया में जीना है तोह अपने को नहीं दूसरे के दर्द को देख के जीना सिख लो की वो कैसे जी रहा है क्या मैं उससे भी बुरा हु अगर हूँ भी तोह सायद यह नसीब मुझे उस बुराई से ही मिली हो और मैं बुरा नहीं तोह कल आने वाला समय मेरा ही होगा बस आज मुझे खुद को जैसे भी संभालना होगा।
डिप्रेशन की सबसे अछि और सबसे वर्ल्ड क्लॉस इलाज है जिसे आप यदि करते है तोह १००% गारंटी के साथ आप अपने डिप्रेशन और स्ट्रेस पर काबू कर लेंगे और जीवन में फिर आपको कभी भी डिप्रेशन और स्ट्रेस का सामना न करना पड़े।
( मैडिटेशन और योग के बारे में जानने के लिए ऊपर लिंक पर क्लिक करे)
किसको डिप्रेशन और स्ट्रेस से कैसे दूर कर सकते है ?
आईये दोस्तों अब हम इस बीमारी "डिप्रेशन" और "स्ट्रेस" से बचने और बहार निकलने के बारे में जानते है।(अगर मैं यह कहु की डिप्रेशन के बढ़ने का एक मात्र कारन है अकेला पन और ज्यादा से ज्यादा सोचना उन समस्याओं के बारे में। क्यूंकि मेरे अनुभव से "डिप्रेशन" और "स्ट्रेस" को ख़तम नहीं किया जा सकता है अजबकी उसे बहुत हद तक काम किया जा सकता है, जो की एक समय के बाद ख़त्म सी हो जाती है। )
डिप्रेशन को कभी भी "दवा" के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए क्यूंकि यह आदत "एक प्रकार से नसे की लत लगा देती है, जो की डिप्रेशन से भी खतरनाक साबित हो सकती है।
यदि किसी को डिप्रेशन या स्ट्रेस हो तो आपको यह काम कम से कम करनी चाइये जिससे डिप्रेशन को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। और यह बातें १००% काम करने की ताकत रखती है।
- हमें उन सभी डिप्रेस्ड व्यक्ति को यह एहसास दिलाना चाहिए की आप उनकी परवाह करते हो उन्हें समझते हो वही सही है अपने जगह पर आपको तब तक उनको एहसास दिलाना है जब तक की वो आपको अपनी सारी तकलीफ न बता दे।
- आपको बहुत ही धैर्य से उनसे दोस्ती करनी होती है जिसमे आप उनके तकलीफ को समझने के लिए खुद को तैयार करते है।
- उनकी सारी तकलीफो को पूरा सुनने की कोसिस कीजिये जल्द बाजी या कुछ समय नहीं बल्कि उनकी हर एक एक बात जो भी वो बताना चाहते हो अपने तकलीफ के बारे में बिना कुछ कहे बस उनकी सारी बातें सुन कर समझ जाईये यदि वो आपसे कुछ पूछते है या समझना चाहते है तो तरफ से उन्हें सही बोलने की कोसिस कीजिये, आपको बस यही ध्यान देना है की उनकी साडी बातें आप समझे और सुनने।
- एक बार जब वो अपनी सारी तकलीफे बातें दे तोह सायद उनका डिप्रेशन 4०% कम जरूर हो जायेगा, इसके बाद आप उनके बताये हुए तकलीफो को समझ कर उनसे बात कीजिये और हो सके तोह कुछ कहानी या हकीकत बातें इनसे जुडी हुए बताये जो उनके लिए पोसिटिव / सकारात्मक काम करे और हौसला दे।
- कहते है यदि आप किसी को कुछ समझाना चाहते हो तोह सबसे पहले आप उससे समझलीजिये उसके बाद आप उससे जो समझाना चाहते हो वो आपकी बात को सायद उस समय न समझे पर जब भी अकेले होगा वो आपकी बातों को जरूर से जरूर समझने की कोसिस करेगा।
- दोस्तों, अगर आप उन्हें अपने लाइफ के कुछ समय दे सके जिसमे वो अपने आपको अकेला महसूस करने की कोसिस करे तो आपका साथ उनको बहुत रिलैक्स फील करवा सकता हैऔर उन्हें अपने इस डिप्रेशन और स्ट्रेस से बहार भी ले आ सकता है।
दोस्तों, डिप्रेशन और स्ट्रेस के बारे में मैं आपको जितना बता सकता हु और भी आगे अपडेट करते रहूँगा पर मेरी आपसे एक ही निवेदन है, आप लड़ाई खुद से खुद की है जब तक आप खुद इनसे नहीं लड़ पाएंगे कोई भी कुछ नहीं कर सकता है, है यह १००% सही बात है की आप आज खुद को सँभालने की कोसिस कीजिये आने वाला समय आपको खुद आपको संभाल लेगा।
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